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…….पारसी बॉर्डर वाली ये cream colour की साड़ी मैने theater (मुक्तिबोध राष्ट्रीय नाट्य समारोह ) देखने जाने के लिए पहनी है . पारसी और theater के रिश्ते के ख्याल से ही ये साड़ी पहनने का विचार मेरे मन में आया कुछ ब्रासो जैसा कपड़ा है पर वास्तव में क्या है मुझे ठीक से नहीं पता यह साड़ी मैंने इसकी पारसी बॉर्डर की वज़ह से ही खरीदी थी और इससे पहले यह बस एक बार लगभग ३ साल पहले एक शादी में पहनी थी …भला हो #sareepact का जो इन साड़ियों के दिन बहुर रहे हैं …..
….निकलते समय बेटे ने तस्वीर लेने की पेशकश की और उसने मुझे याद दिलाया कि “आपने ये साड़ी सोनू मामा की शादी में पहनी थी, संगीत वाले दिन और family games में हम केवल एक game जीत पाए थे , अगर तब आप अभी इतनी दुबली होतीं तो शायद हम और जीत सकते थे ….” कहा उसने हँसते हुए था पर मेरे मोटापे की वज़ह से बाकि games में नहीं जीत पाने का अफ़सोस उसे अब तक था ये मै महसूस कर पा रही थी …..
….मोटापा जीवन पर गहरा असर डालता है सेहत के साथ- साथ यह मानसिकता को भी प्रभावित करता है , आत्मविश्वास को सबसे ज्यादा ,ये एक दुष्चक्र है जिससे बाहर निकलने का एक ही रास्ता है कड़ी मेहनत और आत्मसंयम .. ये बात मै पिछले 15 वर्षों में २-३ बार बहुत अधिक मोटापे से ग्रस्त होने और हर बार 15 से 22 किलो तक वज़न घटाने के क्रूर अनुभव के बाद कह रही हूँ ….
मोटे व्यक्ति की मानसिकता , मनोदशा उसका दुःख वे कभी नहीं समझ सकते जो मोटे नहीं रहे हैं . अक्सर उपहास और छींटाकसी में लोग यह नहीं जान पाते कि वह व्यक्ति कैसा महसूस कर रहा है , नैसर्गिक रूप से स्वस्थ और आकर्षक दिखना औरों से प्रशंसा पाने की आकांक्षा सहज मानवीय स्वाभाव है ऐसे में कौन होगा भला जो अनाकर्षक, बेडौल, अस्वस्थ रहकर शर्मिंदगी की चादर ओढ़ना पसंद करेगा . दरअसल एक बार गाड़ी पटरी से उतरती है तो फिर वापस लाना बहुत मुश्किल होता है ,अवसाद धीरे -धीरे आत्मविश्वास के साथ साथ इच्छा शक्ति को भी निगल जाता है फिर शुरू होता है बहाने बाज़ी का दौर …मेरे पास समय नहीं है , हम ऐसे ही ठीक हैं , वजन कम करने की कोशिश से कमजोरी आती है , चहरे की रौनक चली जाती है , झुर्रियां पड़ जाती हैं , कम खाना मेरे बस की बात नहीं, इतना भी नहीं खाते हैं और भी ऐसे ही कई …..पर वज़न कम करना सिर्फ अच्छे दिखने के बारे में नहीं है यह है खुद से प्रेम , जीवन से प्रेम , स्वस्थ रहने का प्रयास , आत्मविश्वासी , दृढ़निश्चयी ,सकारात्मक , विजयी और उत्साही होने का अनुभव है …सराहे जाने का सुख है …
“किसी चीज का स्वाद इतना अच्छा नहीं लगता जितना कि छरहरेपन का ” _ कैट मास
….छरहरे तो नहीं पर हाँ अपनी उम्र और लम्बाई के अनुरूप होने का प्रयास ज़रूर होना चाहिए इसके लिए gym , diet जैसे कठीन प्रयासों के साथ साथ एक सरल तरीका है .. खुद को आईने में देखने की बजाय तस्वीरों में देखना चाहिए क्योंकि आईना हमेशा झूठ बोलता है, हम जब भी खुद को देखते हैं अच्छे ही नज़र आते हैं, लेकिन तस्वीरें ज्यादा भरोसेमंद होती हैं, जो हममे आये परिवर्तन को साफ़ साफ़ दिखाती हैं , यकीं न हो तो आज़मा कर देखिये ..
जैसे मेरी तस्वीर मुझे बता रही है कि और अधिक सजग होने की ज़रूरत है …. 🙂
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