आत्मीयता
रिश्ते हमेशा भावनात्मक संबल देते हैं .प्रत्येक रिश्ता प्रेम की नीवं पर टिका होता है .अगर रिश्तों में प्रेम , आपसी समझ और विश्वास हो तो रिश्ते पीढ़ियों तक टिके रह सकते है किन्तु इसके लिए औपचारिकता से परे दोनों पक्षों में आत्मीयता का प्रगाढ़ सम्बन्ध होना चाहिए…आज की साड़ी वास्तव में आत्मीयता का मूर्त सवरूप है ये सिल्क की पीली साड़ी मेरी बेहद पसंदीदा साड़ियों में से एक है पर यह साड़ी अब से कुछ समय पहले तक मेरी नहीं थी.
….ये साड़ी थी गौतम आंटी की जिसे उन्हें उनकी दादी ने उपहार में दी थी और मैंन यह साड़ी आज से कोई 23-२४ साल पहले एक पारिवारिक कार्यक्रम, में पहनी थी ..इतनी पुरानी होने के बावजूद आज भी ये साड़ी मजबूत है पहनने लायक है और इसके रंगों की चमक बिल्कुल वैसी ही है जैसी पहले थी …
गौतम परिवार एक तरह से मेरा दूसरा परिवार है रिश्ता आत्मीयता का है , प्रेम का है और अपने स्नेहसिक्त बोल और आत्मीय व्यवहार से मात्र परिचय को प्रगाढ़ सम्बन्ध में बदलने और निभाने की खासियत गौतम आंटी (हम उन्हें ऐसे ही संबोधित करते हैं ) के व्यक्तित्व को और अधिक गरिमामयी बनाती है . मै उनकी जिंदादिली , खुशमिजाजी और उदारता की सदा कायल रही हूँ . आंटी के विशिष्ट हास्यबोध का ही प्रभाव है कि हर उम्र के साथ उनका सहज रिश्ता बन जाता है और उनकी उपस्तिथि मात्र से सकारात्मकता का अनुभव होता है ….सम्पन्नता तो बहुत से परिवारों में होती है लेकिन सम्पन्नता के साथ नम्रता , उत्सवप्रियता और सामाजिकता का संयोग यहाँ है …
एक दिन बातचीत के दौरान आंटी ने कहा कि आजकल वो साड़ियाँ ज्यादा नहीं पहन पातीं उनकी ढेरों साड़ियाँ यूँ ही रखी हैं और दें भी तो किसको?? आजकल कोई भी ज्यादा साड़ी नहीं पहनता , सब संपन्न हैं पुरानी साड़ी किसे दें ?और लोग जब पहनते हैं तो फैशन के हिसाब से नयी डिज़ाइनर साड़ी खरीद कर पहन लेते है ….मैंने समय गंवाए बगैरे तुरंत ये पीली साड़ी मांग ली हांलाकि मुझे उस साड़ी के भावनात्मक पहलु का पता था इसलिए मन में कहीं थोड़ी झिझक थी लेकिन उस साड़ी के लिए मेरे लगाव के आगे वो झिझक कहीं कमजोर पड़ गयी वैसे भी यहाँ मुझे ओपचारिकता की कोई ज़रूरत नहीं थी . आंटी को लगा मै मजाक कर रही हूँ लेकिन जब उन्हें उस साड़ी के प्रति मेरा बरसों पुराना आकर्षण पता चला तो उन्होंने ये कहते हुए साड़ी मुझे दे दी “ पागल लड़की …तेरी इस बात पर मन करता है कि अपनी सारी साड़ियाँ तुझे दे दूँ ….” पर मुझे तो उनसे बस वही एक साड़ी चाहिए थी जो उन्होंने सहर्ष मुझे दे दी ….वैसे भी ऐसी खालिस चीजों और आत्मीयता के लिए मुझसे बेहतर उत्तराधिकारी कौन होगा भला ???
saree ke sath sath blouse bhi bahut sundar. atmiyata ka pratiroop. cute real bonding story