आज की ये सिल्क साड़ी और तस्वीर दीपावली के दिन की है . हमारी ये दीपावली इस बार थोड़ी अलग थी पर अदिति के उत्साह और जिंदादिली ने उसे हर बार की तरह ही उल्लासपूर्ण बना दिया दरअसल वाकया यूँ है कि ….
२६ अक्टूबर की शाम जब मै घर पहुंची तो ….उसे देखते ही मुझे तुरंत अंदाज़ा हो गया पर इस बार मै पिछली बार की तरह घबराई नहीं उसे पेनकिलर दे कर, डॉक्टर को काल किया कि मै उसे लेकर पहुँच रही हूँ और ट्रेंनिंग के दौरान सीखे तरीके से first-aid करके उसे ले कर गयी . मेरा अंदाज़ा बिलकुल सही था इस बार उसके दांये हाथ की ulna fracture हुयी थी पिछली बार बांया हाथ था …फिर से वही सब स्लेब , ऑपरेशन , rod , प्लास्टर और फिर ऑपरेशन एक सात साल की बच्ची के लिए डेढ़ साल में दो बार ऐसा होना चिंता की ही बात है .खैर जो हो गया उसे तो बदला नहीं जा सकता सामने दिवाली का त्यौहार है जिसकी वह जोरशोर से तैयारी कर रही थी …अब कैसे एन्जॉय करेगी ऐसे ही ख्यालों से दो चार होते हुए उसका इलाज करा उसे लेकर घर वापस पहुंची बहन को इस हाल में देख भाई ने पहले तो थोडा अफ़सोस ज़ाहिर किया फिर दुःख पर भाई-बहन की चुहलबाजी हावी हो गयी और उसने कहा दिया “अब तो तुम dependent हो गयी अपना कोई काम नहीं कर पाओगी ….” बात का थोडा असर हुआ बिटिया उदास हो गयी उसे दिवाली भी याद आगयी अब वो नए कपडे कैसे पहनेगी ? …पटाखे कैसे चलाएगी ? हम भी दुखी हुए …पर उसने भाई को ज़वाब दिया कि “ ऐसा कुछ नहीं है …देख लेना मै अपने सारे काम खुद करुँगी , मुझे मदद नहीं चाहिए …” और अपनी बात पर कायम भी है

हम दोनों ही नौकरीपेशा हैं सो बेटी की देखभाल के लिए जब वो छ: माह की थी तब से “ताई” हमारे साथ रहतीं है और बेटी कई आसान काम जो वह खुद से कर सकती है उनके लिए भी ताई पर निर्भर रहती है कई कोशिशों के बावजूद हम उसकी यह आदत नहीं बदल पाए …

….लेकिन अब जब कि उसे वास्तव में मदद की ज़रूरत थी वह एक हाथ से ही अपने सारे काम करने की कोशिश करने लगी ..शायद भाई की बात का असर है 🙂 पिछले २० दिनों में उसने बांये हाथ से खाना खाना , ड्राइंग करना , थोडा बहुत लिखना , रंगोली बनाना और भी अपनी ज़रूरत के कई काम खुद से करना शुरू कर दिए …संयोग से दिवाली पर ऐसी ड्रेस भी मिल गयी जो थोड़े अल्टरेशन से उसके पहनने लायक बन गयी और इस साल उसने बिना किसीकी मदद के सारे पटाखे चलाये …उसे लगी चोट का उसके उत्साह पर कोई असर नहीं था .

आज सुबह दीपावली की छुट्टियों और अपनी चोट के बाद वह पहली बार स्कूल जा रही थी मुझे थोड़ी चिंता थी पता नहीं स्कूल में कैसे होगा? सुबह उसे स्कूल छोड़ने खुद गयी प्रिंसिपल से मिल कर सारी वस्तुस्तिथि बताई उन्हें भी मेरी तरह ही चिंता हुए लेकिन उन्होंने मुझे आश्वस्त किया कि वो और उनका स्टाफ अदिति का पूरा ध्यान रखेगा . उन्होंने एक आया दीदी को बुलाकर हिदायत दी कि अदिति का स्कूल बैग वो रोज़ लाना ले जाना करे और भी उसे जो मदद की आवश्यकता हो उसका ध्यान रखे . आया दीदी जैसे ही अदिति का बैग उठाने लगी अदिति ने तुरंत ही उनसे बैग लेते हुए प्रिंसिपल से कहा “ thank you sister !! but I can manage myself ….” ये सुन कर उसे दुलारने से मै खुद को नहीं रोक पायी और सिस्टर ने भी उसे blessings के साथ एक बड़ी सी चॉकलेट थमा दी …”विपरीत परिस्तिथियाँ हमें ज्यादा मजबूत और परिपक्व बनातीं हैं “ इस बात में मेरा हमेशा से यकीं रहा है और आज अदिति ने उसे और पक्का कर दिया है . मै बड़ी निश्चिन्तता महसूस कर रही हूँ