#100sareepact
#साड़ीसूक्त
#saree2
#blastfrompast
आज saree के बारे में बात शुरू करने से पहले saree pact के बारे में बात कर ले क्योंकि आप सभी जानना चाहते होंगे ….saree pact में प्रतिभागी को एक साल में १०० साड़ियाँ पहननी हैं और उस साड़ी के रंग , बुनावट, अवसर , परंपरा , खट्टी -मीठी यादें , यादगार पल से जुड़ा कोई रोचक किस्सा अपनी तस्वीर के साथ साझा करना है इसका उद्देश्य आपस में जुड़े लोगों में भावनात्मक साझेदारी के माध्यम से बेहतर समझदारी और सामंजस्य बनाना है…तो चाहे -अनचाहे आप भी मेरे साथ इस pact का हिस्सा हैं …. : )

आज की साड़ी और उससे जुडी कहानी कई मामलों में खास है . मेरी स्कूल फ्रेंड Soma Roy से जुड़ा है ये किस्सा. हम दोनों स्कूल से पोस्ट ग्रेजुएशन तक साथ रहे सयोंग से हमारे घर भी आस पास ही थे तो स्कूल -कॉलेज के बाद भी एक दुसरे के साथ वक्त गुजारते . बंगाली महिलाओं के पास बेहतरीन का खजाना होता है या कह लीजिये की बंगाली साड़ियाँ इतनी सुन्दर होतीं हैं कि हर साड़ी खास लगती है . मै जब भी सोमा के घर जाती आंटी जी की साड़ी मुझे बहुत पसंद आतीं और मै अक्सर उनसे कहती ” आपकी ये साड़ी मै एक दिन पह्नुगी , ये बहुत सुन्दर है ” और वो भी हमेशा मेरी इस फरमाइश का हंस कर स्वागत करतीं ” जब मन करे पहन लेना …” पर चूँकि हम लोग सलवार सूट पहना करते थे तो ऐसे किसी मौके की सम्भावना कम ही थी पर मेरा उनसे कहना और उनका सहमत हो जाना एक सिलसिले की तरह था और मुझे इस बात में अनोखा अपनापन महसूस होता … .

पोस्ट ग्रेजुएशन वेलकम पार्टी में साड़ी पहनना था हम सोमा के घर पर ही तय कर रहे थे कि कौन सी साड़ी पहनी जाये ? आंटी जी ने ही पहल करते हुए मुझसे कहा कि मै हमेशा ही उनकी सदियाँ पहनने के लिए कहती रहती हूँ तो क्यों न इस मौके पर उनकी कोई साड़ी पहन लूँ …मुझे भी बात ठीक लगी गयी क्योंकि साड़ियाँ पहनने के सिमित अवसरों में से ये एक मौका था मै ने हाँ कर दी उन्होंने अपनी पसंद की कोई भी साड़ी चुनने के लिए उदारतापूर्वक अपनी साड़ियों कि अलमारी मेरे सामने खोल दी और मैंने भी एक सबसे खुबसूरत साड़ी चुन ली इत्तेफाक से उसका ब्लाउज भी मुझे सही आ गया ….

सिल्क की सिल्वर बॉर्डर और बूटे वाली गुलाबी साड़ी बेहद ही खुबसूरत …पार्टी में भी सबने खूब तारीफ की.. मै तो खुश थी ही एक तो पसंद की साड़ी फिर मुझ पर अच्छी भी लग रही है ऐसा मै मान रही थी . जाने किसकी नज़र लगी और किसी कील में फंस कर साड़ी फट गयी …ठीक ठाक ही फट गयी थी अब सारी ख़ुशी काफूर सुन्दर , कीमती और आंटी कि साड़ी ख़राब हो गयी … तुरंत सोमा को बताया उसका भी वही हाल था जो मेरा अब क्या होगा ? घर में कैसे बताएँगे ? मेरे घर में तो मै पहले ही मम्मी कि साड़ी के बजे आंटी की साड़ी पहनने के निर्णय के लिए डांट खा चुकी थी अब ये सब पता चलेगा तो खैर नहीं . जेब खर्च का जमाना नहीं था तो अगर रफू भी कराना चाहें तो पैसे कहाँ से आयेंगे ? ओह !! कितनी बड़ी मुसीबत में पड़ गए थे हम लोग …खैर जैसे तैसे जुगाड़ कर योजना अनुसार रफू कराया गया ड्राई क्लीन पैक साड़ी सोमा को दी उसने अलमारी में रख दी ….आंटी को पता चला या नहीं ये मुझे आज तक पता नहीं चल पाया क्योंकि न कभी सोम ने कुछ बताया …न मेरी पूछने की हिम्मत हुयी और आंटी भी पहले कि तरह ही मुझे अपनी साड़ियाँ पहनने के लिए कहती रहीं …

दुनिया में दोस्ती के रिश्ते बड़े ही प्यारे होते हैं , दोस्त एक दुसरे के बारे में कितना कुछ भला- बुरा जानते हैं पर दोस्ती पर उन बातों का कोई असर नहीं होता… मै और सोमा आज भी दोस्त हैं और पहले से भी ज्यादा गहरे दोस्त हैं ….ये फोटोग्राफ स्कैन किये हुए हैं और पुराने भी इसलिए इनका रंग कुछ फीका सा है पर हमारे रिश्ते का रंग अब भी वैसा ही चटकीला है उस पर वक्त का कोई असर नहीं है …..