.सभी जगह गणेशोत्सव की धूम मची हुयी है . आजकल गणेश पंडालों की साज – सज्जा टेंट हाउस वालों के जिम्मे रहती है . पहले गणेश पंडालों की सजावट में साड़ियों का बड़ा योगदान रहता था . गणेश के चंदे के साथ ही साड़ियों का भी इंतजाम कर लिया जाता था क्यों Deepti Gill Grewal याद है न …?, गणेश उत्सव धार्मिक , सामाजिक आयोजन तो है ही साथ ही कॉलोनी /मोहल्ला स्तर पर प्रतिभाओं को सांस्कृतिक मंच भी उपलब्ध करवाता है . कल कॉलोनी में बच्चों के solo dance competition के अवसर पर judgement के किया गया …

…” ये दुनिया बहुत छोटी है ,तीस पर गोल भी ” ..मै और दीप्ति बचपन में एक ही मोहल्ले में रहते थे और ये सुखद संयोग ही है कि आज भी हम एक ही कॉलोनी में रहते हैं और ठीक उतनी ही दूरी पर रहते हैं जीतनी दूरी पर तब रहते थे ( पांच घरों के अंतर पर )….वैसे मै इस मामले में खुशकिस्मत हूँ कि जीवन में अलग अलग जगहों पर रहने , कई संस्थानों से शिक्षा पूरी करने और अलग अलग नौकरी के दौरान जो भी मेरे करीबी रहे हैं आज वो दुनिया में जहाँ कहीं भी हैं मै उनके संपर्क में हूँ .किसीको भी तलाशने में मुझे ज़रा भी दिक्कत नहीं हुयी सब वैसे ही हैं जरा भी नहीं बदले 🙂 अब मुझे किसी अपने की तलाश नहीं सब मेरे आस पास ही हैं ….

…आज पहनी गयी प्योर जार्जेट की ये फिरोज़ी block printed साड़ी मेरी सीखने की आदत का एक नमूना है . जबलपुर में हॉस्टल में मेरे साथ फैशन डिजाइनिंग की कुछ छात्राएं रहतीं थीं उन्हें ब्लाक printing करते देखा था सो मैंने भी मूड बनाया कि ब्लाक प्रिंट कर कुछ बनाया जाये , और एक साड़ी बनायी जाये तो ..? सो बस साड़ी बनाना शुरू ज्यादा बेहतर करने के चक्कर में multi colour block printing से बनाना तय किया ….देख कर सीखने से वास्तविकता का भान नहीं होता , जब खुद किया तो समझ आया दूर से आसान लगाने वाली ये विधा इतनी भी आसन नहीं है . खैर शुरू किया था तो काम पूरा भी किया लेकिन तौबा के साथ … : )